राजस्थान की सबसे डरावनी जगह कुलधरा गांव की कहानी #1Haunted Story

राजस्थान की सबसे डरावनी जगह कुलधरा गांव की कहानी #1Haunted Story

भारत की जमीन में कई ऐसे राज दफन हैं जो कई सदियों बाद भी उतने ही अनसुलझे हैं जितने पहले कभी हुआ 

करते थे। (World;s Most Hunted Village) यह रहस्य कुछ ऐसे हैं जिन्हें जितना सुलझाने की कोशिश की जाती है 

यह उतना ही उलझते चले जाते हैं। Kuldhara Village Story in Hindi

कुलधरा गांव की कहानी - Kuldhara Village Story in Hindi

200 सालों से वीरान पड़ा है कुलधरा गांव:- ऐसा ही एक राज जैसलमेर शहर से लगभग 35 किलोमीटर दूर बसे 

कुलधरा गांव में भी दफन है, जो कि पिछले 200 सालों से वीरान पड़ा है। तो आइए आज मैं आपको लेकर चलता हूं 

भारत की सबसे भूतिया जगहों में से एक माने जाने वाले कुलधरा गांव में, जिसे रातों-रात 5000 लोग हमेशा के लिए 

छोड़कर चले गए थे। कुलधरा पहुंचने के लिए आप अपने निजी वाहन से या जैसलमेर से कैब लेकर भी आ सकते 

हैं।

कुलधरा गांव का इतिहास:- बताया जाता है कि कई सालों पहले पालीवाल ब्राह्मण समाज के लोग जैसलमेर में 

बस गए थे और फिर उन्होंने सरस्वती नदी के किनारे इस कुलधरा गांव को बसाया था। एक ब्राह्मण कदान ने सबसे 

पहले इस जगह पर अपना घर बनाया था और साथ में एक तालाब भी खोदा था, जिसका नाम उसने उधन सर रखा 

था। करीब 200 साल पहले जब कुलधरा खंडहर नहीं था तब इस क्षेत्र के आसपास के 84 गांव पालीवाल ब्राह्मणों से 

आबाद हुआ करते थे। लेकिन फिर जैसे कुलधरा को किसी की बुरी नजर लग गई। वह शख्स था जैसलमेर 

रियासत का दीवान सालम सिंह, जिसे लोग सालिम सिंह या सलीम सिंह नाम से भी बुलाया करते थे। वह गांव 

वालों से अवैध तरीके से कर यानी टैक्स की वसूली किया करता था।

Kuldhara village story in Hindi

कुलधरा गांव की रहस्यमयी कहानी:- अयाश सालम सिंह की गंदी नजर गांव के मुखिया की खूबसूरत लड़की 

पर पड़ गई थी और वह उस लड़की के पीछे इस कदर पागल था कि बस किसी भी तरह से उसे पा लेना चाहता था। 
उसने इसके लिए ब्राह्मणों पर दबाव बनाना शुरू कर दिया। हद तो तब हो गई जब सत्ता के मद में चूर उस दीवान 

ने लड़की के घर संदेश भिजवाया कि अगर अगले पूर्ण मासी तक उसे लड़की नहीं मिली तो वह लड़की को उठा ले 

जाएगा और गांव में कत्लेआम मचा देगा। दीवान और गांव वालों की लड़ाई अब एक कुंवारी लड़की के सम्मान की 

भी थी और गांव के आत्मसम्मान की भी।

गांव की चौपाल पर पालीवाल ब्राह्मणों की बैठक हुई और 5000 से ज्यादा परिवारों ने अपने सम्मान के लिए 

रियासत छोड़ने का फैसला ले लिया। कहा जाता है कि निर्णय लेने के लिए सभी 84 गांव वाले एक मंदिर पर 

इकट्ठा हो गए और पंचायतों ने फैसला किया कि कुछ भी हो जाए, अपनी लड़की उस दीवान को नहीं देंगे। सारे 

गांव वाले रात के सन्नाटे में अपना सारा सामान, मवेशी, अनाज और कपड़े लेकर अपने घरों को छोड़कर 

हमेशा के लिए यहां से चले गए और पाली नाम की जगह पर जाकर बस गए और फिर कभी वापस नहीं आए।

कुलधरा को क्यों छोड़ दिया गया? यह गांव इतना वीरान हो गया है कि आज पक्षी भी इस गांव की सीमा में आने 

से डरते हैं। कहा जाता है कि गांव छोड़ते समय उन ब्राह्मणों ने इस जगह को श्राप दिया था कि यहां कभी कोई 

बसावट नहीं हो सकेगी. आपको बता दें कि बदलते वक्त के साथ 82 गांव तो दोबारा बस गए, लेकिन दो गांव 

कुलधरा और खाबा तमाम कोशिशों के बाद भी आज तक आबाद नहीं हुए हैं। यह गांव अब भारतीय पुरातत्व 

विभाग के संरक्षण में है, जिसे दिन की रोशनी में सैलानियों के लिए रोज खोल दिया जाता है।

मैं बताना चाहूंगा कि जैसलमेर में आज भी सालिम सिंह की हवेली मौजूद है, लेकिन उसे देखने ज्यादा लोग नहीं 

जाते हैं। यहां के एक गाइड का कुलधरा के बारे में कहना है:के "ये जो गांव हैं, यह सबसे बड़ा गांव था, इसका नाम 

है कुलधरा गांव। इसको एमटी विलेज बोलते हैं। घोस्ट विलेज इसलिए बोलते हैं क्योंकि 80-90 साल के जो बुजुर्ग 

लोग थे, बताते हैं कि वे भाग नहीं पाए। उन्होंने पानी के अंदर नमक डालकर जहर डालकर यही मर गए थे और 

इनमें  जो मंदिर है उनमें मूर्तिया नहीं है। मूर्तिया जब गांव खाली हुआ तो गांव वाले मूर्तिया साथ में ले गए। बताते 

इनका पालीवाल गांव था। इनका सिंध प्राण गत था, सेवा पूजा का काम था। इनकी बहुत खूबसूरत लड़कियां थी। 

इनकी सलीम सिंह एक अत्याचारी आदमी था। उसका नाम था जालिम सिंह। वह यहां का प्राइम मिनिस्टर था।

जैसलमेर का सबसे पहला प्राइम मिनिस्टर वही था। वह इस औरतों को उठा के लेकर जाता था। बताते हैं कि एक 

घंटे बाद इसको एक लड़की चाहिए थी। राक्षस प्रवृत्ति का आदमी था। उसे इस गांव की मुखिया की लड़की पसंद 

आ जाती है। इस लिए 1815 में यह गांव सालिम सिंह दीवान के कारण रातों-रात खाली हुआ। यह लोग यहा के 

तालाब का पानी  इस्तेमल क्र्ते थे। जब कुएं के अंदर पानी नहीं आता था, तब बारिश का पानी अगर होता तो पानी 

तालाब से लेते थे, नहीं तो कुएं का पानी पीते थे। इनके श्मशान घाट भी बने हुए हैं । 

कुलधरा गांव की फोटो

क्या कुलधरा गांव में घूमने जा सकते हैं? कहा जाता है कि यह गांव रूहानी ताकतों के कब्जे में है। पर्यटक 

स्थल में बदल चुके कुलधरा गांव में घूमने आने वालों के मुताबिक यहां रहने वाले पालीवाल ब्राह्मणों की आवाज 

आज भी सुनी जा सकती है। वहां उन्हें हर पल ऐसा महसूस होता है कि कोई आसपास चल रहा है। बाज़ार में 

हलचल की आहटें आ आती हैं . महिलाओं की बातचीत और उनके हाथों की चूड़ियों ,पायलों की आवाज भी आती 

रहती है।। प्रशासन ने इस गांव की सरहद पर एक फाटक बनवा दिया है जिसके पार दिन में तो सैलानी घूमने आते 

रहते हैं, लेकिन रात में इस फाटक को पार करने की कोई हिम्मत नहीं करता है।

इस गांव में बने पत्थर के मकान अब धीरे-धीरे खंडहर बन चुके हैं लेकिन इन खंडहरों से अतीत में इस गांव के 

समृद्ध होने का पता चलता है। कुछ घरों में चूल्हे बैठने की जगह और घड़े रखने की जगह की मौजूदगी से ऐसा 

लगता है जैसे कोई यहां से कुछ समय पहले ही गया है। यहां की दीवारों से उदासी का एहसास होता है। खुली 

जगह में बसे होने की वजह से सन्नाटे में सरसराती हुई हवा की आवाज यहां के माहौल को और भी उदास बना देती है।

इस गांव में एक बावड़ी भी है जिससे गांव के लोग पानी पिया करते थे। यही नहीं, बल्कि एक खामोश गलियारे में 

उतरती कुछ सीढ़ियां भी हैं। कहते हैं कि शाम ढलने के बाद अक्सर यहां कुछ आवाजें सुनाई देती हैं। लोग 

मानते हैं कि वह आवाज 18वीं सदी का वह दर्द है जिससे पालीवाल ब्राह्मण गुजरे थे। गांव के कुछ मकान हैं जहां 

रहस्यमय परछाइयां अक्सर नजरों के सामने आ जाती हैं। दिन की रोशनी में सब कुछ इतिहास की किसी कहानी 

जैसा लगता है, लेकिन शाम ढलते ही कुलधरा के दरवाजे बंद हो जाते हैं और दिखाई देता है रूहानी ताकतों का 

एक रहस्यमय संसार। लोग कहते हैं कि रात के वक्त यहां जो भी आया, वह हादसे का शिकार हो गया।

कुलधरा गांव की कहानी

कुलधरा गांव क्यों प्रसिद्ध है? :- मई 2013 में दिल्ली से भूत-प्रेत व आत्माओं पर रिसर्च करने वाली पैरानॉर्मल 

सोसाइटी की टीम ने कुलधरा गांव में रात बिताई थी। टीम ने माना कि यहां कुछ ना कुछ असामान्य जरूर है। 

शाम के वक्त उनका ड्रोन कैमरा आसमान से गांव की तस्वीर ले रहा था, लेकिन उस बावड़ी के ऊपर आते ही वह 

कैमरा हवा में गोते लगाता हुआ जमीन पर आ गिरा, जैसे कोई था जिसे वह कैमरा मंजूर ना हो। यह सच है कि 

कुलधरा से हजारों परिवारों का पलायन हुआ, लेकिन यह भी सच है कि कुलधरा में आज भी राजस्थानी संस्कृति 

की झलक मिलती है।

पैरानॉर्मल सोसाइटी के उपाध्यक्ष अंशुल शर्मा की मानी जाए तो उनके पास एक डिवाइस है जिसका नाम घोस्ट 

बॉक्स है। इसके माध्यम से वह ऐसी जगहों पर रहने वाली आत्माओं से सवाल पूछते हैं। कुलधरा में भी उन्होंने 

ऐसा ही किया, जहां कहीं आवाजें आईं तो कहीं असामान्य रूप से आत्माओं ने अपने नाम भी बताए। इस रहस्यमय 

गांव में कई हिंदी मूवीज की भी शूटिंग हुई है।

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